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- Jodee.in

- Dec 20, 2024
- 3 min read
बहन बेटी शादी के बाद ससुराल का घर मायके जैसा हो.यह जरूरी नहीं
जब एक बहन शादी करके नए घर जाती है, तो हर बार यह जरूरी नहीं कि वह घर उसके मायके जैसा हो। मायके में जो सुविधाएं थीं.जो सुख मिले. वह ससुराल में भी मिलेंगे, यह अपेक्षा करना गलत है। हर घर की परिस्थितियाँ अलग होती हैं.और हर पति की कमाई वही नहीं होती, जो आपने अपने पापा या भाई के घर में देखी हो।
आज सुबह मैं दूध लेने के लिए पास की दुकान जा रही थी, तभी शर्मा अंकल रास्ते में मिल गए। मैंने उन्हें राम-राम कहा। उन्होंने जवाब तो दिया, लेकिन उनके चेहरे पर उदासी साफ झलक रही थी। मैंने पूछा, "अंकल जी, आप परेशान लग रहे हैं। क्या बात है
शर्मा अंकल ने धीरे से कहा"पूजा बेटा, मेरी बेटी काजल हमेशा के लिए घर वापस आ गई है। वह अपने पति को छोड़ चुकी है और तलाक चाहती है।"
मैंने पूछा, "अंकल जी, ऐसा क्या हुआ? आपने काजल से पूछा कि उसे क्या परेशानी है
अंकल ने गहरी सांस लेते हुए कहा, "हाँ बेटा, मैंने पूछा। काजल कहती है कि उसके पति की कमाई कम है और वह उसके शौक पूरे नहीं कर सकता। वह कहती है, अभी तो हम दोनों ही हैं, लेकिन अगर बच्चे हुए तो वह क्या कर पाएगा? इसलिए वह अब उसके साथ नहीं रहना चाहती।
उनकी बात सुनकर मैं सोच में पड़ गई और फिर उन्हें जवाब दिया.अंकल जी, यह बात सिर्फ आपकी बेटी की नहीं है. यह समस्या आज कई घरों में देखने को मिल रही है। बच्चों को माता-पिता से जो सुख-सुविधाएँ मिलती हैं. वे यह मान लेते हैं कि शादी के बाद भी वही सब मिलेगा। लेकिन यह सोचना गलत है
मैंने उन्हें समझाते हुए कहा, "हम अपने बच्चों को हर खुशी देते हैं, हर सुविधा देते हैं, लेकिन हमें उन्हें यह भी सिखाना चाहिए कि शादी के बाद ससुराल में हालात अलग हो सकते हैं। जरूरी नहीं कि मायके जैसी हर चीज उन्हें वहां भी मिले।"
- "पिता के घर में अगर लाइट जाती है तो इनवर्टर तुरंत चालू हो जाता है, लेकिन ससुराल में ऐसा होना जरूरी नहीं।"
- "पिता के घर में जन्मदिन पर 10,000 का गिफ्ट मिलता है, लेकिन ससुराल में ऐसा हो, यह जरूरी नहीं।"
- "मायके में कार में घूमने की आदत है, लेकिन ससुराल में मोटरसाइकिल भी हो सकती है।"
रमेंश अंकल मेरी बातें ध्यान से सुन रहे थे। उनकी आँखें भर आईं और उन्होंने कहा, आरती. बेटा, तुम सही कह रही हो। मैंने अपनी रजनी को यह सीख नहीं दी और शायद यही मेरी सबसे बड़ी गलती थी।"
अंकल की आँखों में पछतावा साफ दिख रहा था। मैंने उनसे कहा, "हम सभी माता-पिता को चाहिए कि अपने बच्चों को यह सिखाएं कि शादी के बाद हर परिस्थिति को स्वीकार करना और सामंजस्य बिठाना जरूरी है। सुख-दुख साथ में झेलकर ही रिश्तों को मजबूत बनाया जा सकता है।"
यह पोस्ट मैं इसलिए लिख रही हूँ ताकि समाज के हर वर्ग को यह समझ में आए कि बच्चों को केवल सुविधाएँ देना काफी नहीं है। उन्हें जीवन के वास्तविक संघर्षों के लिए तैयार करना भी जरूरी है।
मैं तो बस यही चाहती हूँ कि किसी भी बहन-बेटी का घर ना टूटे। अगर आपको यह बात सही लगे, तो इसे दूसरों के साथ जरूर साझा करें। शायद इससे किसी का घर बच जाए। 🙏 लाईक शेयर करें धन्यवाद जी

एक शोध के अनुसार भारत में 80% लड़कियों कि शादी लड़कों से नहीं ,लड़कों की नौकरी और उनकी प्रॉपर्टी से होती है।
क्या सच है क्या 🤔?


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