How to Support Your Illiterate Mother in Today's Digital Age?
- Jodee.in
- Jan 21
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अनपढ़ मां का त्याग एक मार्मिक कहानी✍️

एक निम्न वर्गीय परिवार के एक लड़के ने 10वी की परीक्षा में जब 90%अंक प्राप्त किये, उसके पांव जमीन पर नही पड़ रहे थे..वो उछलता कूदता अपने घर गया,
पापा ने मार्कशीट देख खुशी से अपनी पत्नी को कहा, आज आपके लाडले ने कमाल कर दिया है, स्कूल में 90 %मार्क्स लाये है, इस खुशी में हलवा बनाओ।
मां ने रसोई से यह सुना तो भागकर आई, जरा मेरे को भी दिखाओ तो, मेरे बेटे ने क्या कर दिया? में भी तो देखु?
इतने में लड़के ने तपाक से बोला, अरे पापा, मम्मी को क्या दिखा रहे है? यह क्या पढ़ पाएगी? मां तो अनपढ़ है।
मां को यह ताना बहुत चुभा, नम आंखों को पल्लू से पोंछते हुए,रसोई में मिठाई बनाने चली गयी।
यह बात पापा ने नोटिस की,उसे अपने पास बुलाया,ओर कहा:-
बेटा, जब हमारी शादी हुई, तो तू मां के गर्भ में जल्दी आ गया था, मेरे दोस्तों ने कहा, यार क्या अभी घूमने घुमाने के दिन है..
अबॉर्शन क्यों नहि करवा लेता,
बच्चो के लिए पूरी जिंदगी पड़ी है,
ओर यह बात जब मैंने तेरी मम्मी से कहा तो उसने बिल्कुल मना कर दिया,
पता है क्यों?
क्योंकि वो अनपढ़ है?
हाँ, बेटा तेरी मां अनपढ़ है..
जब तू गर्भ में था,उसे दूध बिल्कुल पसंद नही था,उसने तुमको स्वस्थ -तंदुरुस्त रखने के लिए हर दिन दूध पिया, क्योंकि वो अनपढ़ थी ना..
तुझे 7 बजे स्कूल जाना होता था,इसलिए उसे सुबह 5 बजे उठ तुमारे लिए नाश्ता ओर टिफीन बनाना होता था, क्योंकि वो अनपढ़ थी..
जब तुम रात को पढ़ते पढ़ते सो जाते थे,वो आकर तुमारी कॉपी किताब बस्ते में रखकर,तुमारे शरीर को चद्दर से ढांप कर सोने जाती थी,क्योंकि वो अनपढ़ थी..
बच्चपन में तुम जब भी बीमार होते,रात रात भर तुमारे सिरहाने बैठी जागती रहती थी..फिर सुबह के काम मे लग जाती थी..क्योंकि वो अनपढ़ थी..
तुमारे खिलोने,बेट बोल ओर ब्रांडेड कपड़े दिलाने के लिए खुद दो साड़ी में साल निकाल लेती थी,क्योंकि वो अनपढ़ थी..
तुमारे स्कूल के लिए पीहर जाना छोड़ देती,रिस्तेदारो की शादियां अटेंड नही की..किटिया, भजन पार्टी इसलिए अटेंड नही करती क्योंकि तुमारी सुविधा में कोई कमी न रह जाये..
ओर बेटा तुमने एक मिनट में..? मां के जज्बात तार तार कर दिए
..अभी तो सिर्फ 10 वी ही तो पास की है,अभी क्या कोई कलेक्टर बन गया?और यदि बन गया तो..? और एक बात ध्यान से सुन लेना.,आगे से आप जब मम्मी से बात करोगे,तो कायदे ओर इज्जत से करना*, वरना..
बेटा, इससे ज्यादा सुन न सका..सुबक सुबक उसने आंसुओ से जमीन गीली कर दी,ओर भाग कर मां से लिपट गया,माँ मुझे माफ़ कर दो..
मां ने अपने पति के आखरी शब्द भी सुन लिए थे, उसको अपने पति पर गर्व हूवा। अब गुस्सा काफूर हो चुका था।रोते हुए बेटे को गले
कसकर सीने से लगा लिया।ओर सिर के बालों में हाथ फेरने लगी।
शिक्षा -- पेड़ पर लगे हुए फल देखकर लोग फलों की तारीफ करते है, पर जमीन के अंदर की उन जड़ों की मेहनत की कोई तारीफ नहीं करता, जो पानी एवं खाद से तत्व निकल कर फलों तक पहुंचती है एवं उनको रसदार बनाती है ।
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