How can we promote and protect the "महिला सम्मान" in our society?
- Jodee.in
- Jan 21
- 2 min read
जब वो मांग में सिंदूर आते ही लड़की से औरत बन जाती है।
जब वो शादी के तुरंत बाद दीदी से आंटी बन जाती है जबकि उसका पति दो बच्चों के बाद भी भैया ही बना रहता है।
जब शादी की अगली सुबह बेटे को आराम करने दिया जाता है और उसे रसोई में प्रवेश मिल जाता है। सबकी पसंद का खाना बना के खिलाओ ,अपनी पसंद का कोई पूछेने वाला नही
जब उसकी हर ग़लती भी उसकी और उसके पति की हर ग़लती भी उसी की ग़लती कहलाती है।
जब उसका शादी से बाहर का आकर्षण उसको धोखे बाज़ बना देता है और उसके पति का आकर्षण उसके प्यार की कमी कहलाता है।
जब मायके आने के लिए किसी की इजाजत जरूरी हो जाती है।
जब मायके की यादों की उदासी को उसके काम ना करने का बहाना करार दिया जाता है।
जब जरूरत पड़ने पर ना वो पति से पैसे मांग पाती है और ना ही पिता से।
जब उसकी माँ उसे समझौता करने को कहती रहती है। और अपनी सफल शादी की दुहाई देती रहती है
जब ऑफिस से थक कर आने के बाद कोई पानी तक नहीं पूछता है।
जब रात को पति के बाद सोती है और सुबह पति से पहले उठती है।
जब अपने सपने/ख्वाहिशें भूल जाती है और कोई पुरानी सहेली उसको याद दिलाती है।
शादी सभी के लिए उतनी मीठी नहीं होती जितनी नज़र आती है। महिलाओं के लिए आज भी जीवन मुश्किल है।
वो जो महिला को आप रोज़ देखते है और उससे उसकी आँखों के नीचे काले घेरे होने का कारण पूछते है, मत पूछिए। वो कभी नहीं बताएगी। और अगर बताती भी है तो आप कभी नहीं समझेंगे।
अरे भई! जिसे उसकी माँ ने नहीं समझा, आप क्या खाक समझेंगे?
और भी जाने क्या-क्या बकवास दलीलों के रूप में सुनने को मिलती है।
महिलाओं के शांत चेहरों और फूल से हँसी के पीछे कौन-कौन से तूफ़ान गुज़र रहे होते है, आप कभी नहीं समझोगे। स्त्री को समझने के लिए सात जन्म कम पड़ जायेंगे ।एक दिन स्त्री की जगह लेकर तो देखो दिन में तारे नज़र आयेंगे ।
コメント