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How can mothers empower their young daughters to break stereotypes and reach their full potential?

जवान बेटियों को बिगाड़ने में अक्सर उसकी माँ ही जिम्मेदार होती है। दुनियाभर में कोई भी पिता यह नहीं चाहेगा कि उसकी बेटी छोटे कपड़े पहने और अपने अंगों का प्रदर्शन करे। माताओं की ममता और उनकी सोच का बेटियों की परवरिश पर गहरा प्रभाव पड़ता है, जो उन्हें खुद को सुंदर दिखाने के विभिन्न तरीकों से परिचित कराती हैं।

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ऐसी माताओं को मैं सम्मान करती हूं और उन्हें यह बताना चाहती हूं कि लड़कियां भरे पूरे कपड़ों में भी उतनी ही सुंदर लग सकती हैं। शायद अज्ञानता की वजह से उन्होंने अपनी बेटियों को यह नहीं सिखाया कि एक औरत मर्यादा में अच्छी लगती है। हमारी संस्कृति और सभ्यता यह नहीं कहती कि हम छोटे कपड़े पहनें, जिससे हमारी और हमारे समाज की बदनामी हो।

हर बेटी अपनी मां से अपनी निजी बातें साझा करती है, चाहे वह पहली पीरियड्स की बात हो, प्रेग्नेंसी की बात हो, ससुराल की बातें हों, या फैशन की बातें हों। माताएं अपनी बेटियों को राय देती हैं और अपनी प्रतिक्रिया देती हैं। तो बेटियों को यह क्यों नहीं सिखातीं कि वे भरे पूरे कपड़ों में भी सुंदर दिखती हैं? हमारा संस्कार और सभ्यता यह नहीं कहते कि हम छोटे कपड़े पहनें, जिससे हमारी और हमारे समाज की बदनामी हो।

बेटी को यह समझाने के बजाय कि मर्दों की सोच खराब है, उसे सिखाएं कि वह भरे पूरे कपड़ों में भी सुंदर दिखती है। आज हमारे देश में कुछ माताओं के कारण देश की संस्कृति प्रभावित हो रही है और कुछ देश हमारी ही संस्कृति अपनाकर खुद को अच्छे माहौल में परिवर्तित कर रहे हैं।

हमारे देश की बेटियां अर्धनग्न होती जा रही हैं। दूसरे देश की बात छोड़िए, मैं अपने ही देश की बात करती हूं। वहां महज चार साल की उम्र में वे अपने बच्चों को पूरे कपड़े पहनना सिखाते हैं, और हम अपने बच्चों को डांस क्लास भेजते हैं। वे अपनी बेटियों को संस्कृति और धर्म के महत्व सिखाते हैं, और हम अपनी बच्ची को आधुनिकता की दौड़ में शामिल करने की कोशिश करते हैं। वे अपनी बेटियों को धर्म, संस्कृति, और नैतिकता का पाठ पढ़ाते हैं, और हम अपनी बेटियों को फास्टिंग, धर्मकांड और रामायण जैसी ग्रंथों से दूर रखते हैं।

यहां गलती किसी पिता या पति की नहीं बल्कि मां की है। कोई पिता कभी नहीं चाहेगा कि उसकी बेटी अर्धनग्न कपड़ों में रहे। पिता तो वह हीरा है जो आपकी हर ख्वाहिश को पूरा करता है और पति वह भोला-भाला इंसान है जिसे महिलाएं शादी से पहले सस्ते दामों में खरीद लेती हैं और उस पर हुक्म चलाती हैं।

इसलिए माताओं से अनुरोध है कि आधुनिकता में अपनी बेटियों को छूट न दें, बल्कि उन्हें धर्म और संस्कृति की जानकारी दें। उन्हें छोटे कपड़े पहनने से रोकें। भरे पूरे कपड़ों में भी लड़कियां बहुत सुंदर दिखती हैं।

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